गीता जयंती समारोह में विद्वानों ने कहा—‘भगवद्गीता सर्वकालिक व समसामयिक ग्रंथ’

लोरमी। सीताराम भवन में आयोजित भव्य गीता जयंती समारोह में वक्ताओं ने भगवद्गीता को मानव जीवन का सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक और विश्व का सर्वाधिक प्रासंगिक ग्रंथ बताया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता शिक्षाविद, साहित्यकार एवं कथावाचक डॉ. सत्यनारायण तिवारी ने कहा कि योगेश्वर श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन के माध्यम से दिया गया गीता का उपदेश अद्भुत, अद्वितीय और सार्वकालिक है। इसके 18 अध्यायों में कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग का सुन्दर समन्वय मिलता है। उन्होंने बताया कि गीता का अब तक 250 से अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और यह सभी उपनिषदों का सार है।
आचार्य पंडित नंदकुमार चतुर्वेदी ने भगवद्गीता, श्रीरामचरितमानस और श्रीमद्भागवत का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया।
वहीं पंडित रामकिशोर त्रिपाठी ने गीता संवाद—श्रीकृष्ण, अर्जुन, संजय और धृतराष्ट्र—के माध्यम से कुल 700 श्लोकों के स्वरूप पर प्रकाश डाला।
पंडित प्रमोद त्रिपाठी ने गीता माहात्म्य पर विस्तार से चर्चा करते हुए पाँच अध्यायों का पारायण किया।
कार्यक्रम के संयोजक पंडित प्रवीण कुमार शर्मा ने कहा कि भगवद्गीता भारतीय सनातन संस्कृति की आधारशिला है। इस अवसर पर वक्ताओं को गीता और श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया।
समारोह में राजीव कुमार शर्मा, प्रेमल कुमार, ग्वाल कृष्ण कुमार, गोपीकुमार, गुंजन राजपूत, कुमारी राधिका ध्रुव, कुमारी रितिका ध्रुव तथा श्रीमती मंजु शर्मा सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे।



