भागवत कथा मनोरंजन नहीं, मनोमंथन का विषयः दीदी कृष्णप्रिया।

लोरमी। कथावाचिका कृष्णप्रिया ने श्रद्धालुओं को तीसरे दिवस की कथा का श्रवण कराया। भागवत कथा की महिमा का वर्णन करते हुए कथावाचिका कृष्णप्रिया ने कहा कि, भागवत कथा हमें जीवन जीना सीखाती है। श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलयुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है।
सोया ज्ञान वैराग्य कथा सुनने से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। भागवत महात्यम प्रसंग को आगे बढाते हुए
देवी जी ने कहा कि, कुछ लोगों का कहना है कि, जो लोग जितना पूजा पाठ करते हैं, वे ज्यादा परेशान रहते हैं और दुख प्राप्त करते हैं। वास्तव में ऐसा नहीं है, यह सब कर्मों के फल पर आधारित है। सात जन्म पहले किए गए गलत कर्मों का फल इंसान को भुगतना जरूर पड़ता है। भीष्म पितामाह का उदाहरण सबके सामने
है। उन्होंने ने बतलाया कि, भगवान के विग्रह के दर्शन करते समय आंखे बंद न करें। उनकी अलौकिक छवि का नेत्रों के माध्यम से अधिक से अधिक रसपान करना चाहिए। याद रखें वो ईश्वर हैं, उन्हें किसी चीज की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि, भगवान के पास केवल मांगने ही न जाएं, कभी-कभी उनसे मिलने
भी जाएं। युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि, आज युवाओं में संघर्ष करने की प्रवृत्ति कम होती जा रही है, यह बेहद चिंता विषय है। युवा वर्ग संघर्ष किए बिना सफलता पाना चाहता है, जो संभव नहीं है। सफलता पाने के लिए आत्मविश्वास का होना बेहद जरूरी है। श्रीमद्भागवत कथा व सत्संग आदि सुनने से भर से आत्मविश्वास बढ़ता है। जब भी वक्त मिले युवा वर्ग भवति से संबंधित कार्यक्रम देखें, और और साथ ही योग इत्यादि द्वारा अपने दृढ़ संकल्प इच्छाशक्ति को बढ़ाएं। कथा में देवी कृष्णप्रिया के मधुर भजनों ने श्रद्धालुओं को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। इस अवसर पर तखतपुर विधायक धर्मजीत सिंह सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजदू रहे।



