राजा शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह : स्वतंत्रता संग्राम के अमर बलिदानी महापुरुषों का 168वां बलिदान दिवस सिलतरा (पथरिया) में धूमधाम से मनाया गया

मुंगेली। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के ग्राम सिलतरा (पथरिया) में सोमवार को गोंडवाना के वीर योद्धा राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के 168वें बलिदान दिवस का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह 10:30 बजे पुरखा शक्ति, प्रकृति शक्ति, गोंगो सुमिरन बुढ़ादेव-बड़ादेव की पूजा-अर्चना से हुआ। इसके बाद गोंडी सांस्कृतिक प्रतियोगिता ‘झलक’ ने मंच को जीवंत कर दिया।
दोपहर 12:30 बजे मुख्य अतिथि, उप मुख्यमंत्री अरुण साव के आगमन पर समाज के पदाधिकारियों ने पुष्पगुच्छ और गजमाला से उनका स्वागत किया। इसके पश्चात दोपहर 1:00 बजे सामाजिक पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया।
बलिदान का इतिहास और प्रेरणा
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राजा शंकर शाह ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की योजना बनाई थी। उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह ने भी इस संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर हिस्सा लिया। 14 सितंबर 1857 को अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें गिरफ्तार कर चार दिन तक अमानवीय यातनाएं दीं। अंततः 18 सितंबर 1857 को जबलपुर कोतवाली के सामने दोनों वीरों को तोप से उड़ाकर शहीद कर दिया गया। “उनका त्याग और बलिदान गोंडवाना ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के स्वतंत्रता संग्राम का स्वर्णिम अध्याय है,” उन्होंने कहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा कि शंकर शाह और रघुनाथ शाह का बलिदान हमें मातृभूमि की स्वतंत्रता, अखंडता और सम्मान के लिए समर्पण का संदेश देता है।
प्रदेश सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष सुभाष परते ने युवाओं से कहा कि ये बलिदानी महापुरुष आज भी आदिवासी समाज और पूरे भारत के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
वरिष्ठजनों का सम्मान और सांस्कृतिक झलक
समारोह में समाज के सेवानिवृत्त अधिकारियों का विशेष सम्मान किया गया। इनमें रामूलाल श्याम, मंतराम ध्रुव, महेत्तर ध्रुव और प्रमोद ध्रुव को श्रीफल, साल, पुष्पगुच्छ, पीला गमछा, प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया गया।
झलक प्रतियोगिता में आदिवासी सांस्कृतिक नृत्यों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार एवं सम्मान राशि दी गई:
- प्रथम पुरस्कार (₹10,000) – ग्राम झूलनाकला-गौरा गौरी (झांकी)
- द्वितीय (₹5,000) – लुकऊकापा बुढादेव सुमरनी नृत्य
- तृतीय (₹3,000) – ग्राम जमकोर आदिवासी बघवा नृत्य
- चतुर्थ (₹2,100) – ग्राम सोनपुरी गोंडी संस्कृति नृत्य
- पंचम (₹1,500) – ग्राम कुकुसदा सुआ नृत्य
उप मुख्यमंत्री की घोषणाएं और समाज की मांगें
आदिवासी समाज द्वारा रखी गई चार प्रमुख मांगों को उप मुख्यमंत्री ने तत्काल स्वीकार करते हुए घोषणाएं कीं:
- मुंगेली जिला मुख्यालय में पोस्ट मैट्रिक बालक एवं बालिका छात्रावास शीघ्र प्रारंभ होगा।
- ब्लॉक पथरिया और उप तहसील सरगांव में प्री-मैट्रिक बालक छात्रावास स्वीकृत।
- ग्राम पंचायत सिलतरा को खेल ग्राम का दर्जा देने की स्वीकृति।
- सिलतरा में आदर्श देवगुड़ी हेतु ₹5 लाख की स्वीकृति।
इसके अलावा राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर आदिवासी समाज ने अपने अधिकारों, प्रशासनिक दृष्टिकोण और संवैधानिक हितों से जुड़ी समस्याओं को उठाया।
सफल आयोजन और व्यापक सहभागिता
इस अवसर पर मंच संचालन शैलेंद्र ध्रुव और नाथूराम ध्रुव ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में केंद्रीय गोंड महासभा पथरिया और जिलेभर से आए पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, मातृशक्ति, पितृशक्ति और युवाओं का सराहनीय योगदान रहा।
इस बलिदान दिवस ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि देश की स्वतंत्रता, अखंडता और समरसता बनाए रखने के लिए हमें भी उन महापुरुषों के आदर्शों पर चलना होगा, जिनके साहस और बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी।



