
दुल्लापुर, लोरमी (मुंगेली)।
लोरमी ब्लॉक के अंतिम छोर पर बसे ग्राम दुल्लापुर (पंडरिया सीमा) में प्रशासन की बुलडोज़र कार्रवाई अब सवालों के घेरे में आ गई है। आरोप है कि एक गरीब आदिवासी परिवार का आशियाना बिना नोटिस और अल्टीमेटम दिए तोड़ दिया गया, जिससे पूरा परिवार बरसात के बीच खुले आसमान तले रहने को मजबूर हो गया है।
पीड़ित परिवार का दर्द
पीड़ित मनोहर शिकारी का कहना है कि उन्हें गाँव के लोगों ने सालों पहले बंदर भगाने और रखवाली के कार्य के लिए बसाया था। इसी दौरान उन्हें ज़मीन देकर वहीं बसाया गया, जहाँ आज वे अपने 11 सदस्यीय परिवार के साथ गुजर-बसर कर रहे थे।
मनोहर का आरोप है कि –
पंचायत चुनाव के दौरान वोट बैंक की राजनीति में सरपंच की देयस भावना (द्वेषपूर्ण मानसिकता) के चलते उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।
उन्हें पहले नोटिस थमाया गया, जिस पर उन्होंने जवाब भी दिया और प्रशासन को जुर्माना की राशि भी जमा कर दी।
इसके बावजूद बिना किसी नई सूचना या अल्टीमेटम के उनका घर ढहा दिया गया।
पीड़ित का कहना है –
> “हम पीढ़ियों से इस भूमि पर रह रहे हैं। समय-समय पर जमीन व मकान का जुर्माना भी भरते आए हैं। फिर भी बिना नोटिस और चेतावनी घर तोड़ दिया गया।”
ग्रामीणों का आरोप
ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन ने न तो दस्तावेज़ों की जाँच की, न कोई नोटिस जारी किया और न ही चेतावनी दी। बल्कि सीधे बुलडोज़र चला दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि यह घर उनकी मेहनत की कमाई से बना था और लंबे समय से वे यहीं निवास कर रहे थे।
पंचायत सचिव और ग्रामवासियों ने भी इस परिवार को पट्टा दिलाने की अनुशंसा की थी।
प्रशासन का पक्ष
वहीं प्रशासन का कहना है कि यह ज़मीन सरकारी रिकॉर्ड में विवादित और बेजा कब्ज़ा दर्ज है, इसलिए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है।
बड़ा सवाल
अब सवाल यह है कि –
अगर परिवार जुर्माना भरते आ रहे थे,
और नोटिस का जवाब भी दे चुके थे,
तो फिर बिना पूर्व सूचना उनका घर गिराना कितना न्यायसंगत है?
बरसात के मौसम में आशियाना ढह जाने से यह परिवार दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गया है।

 
					 
					 
						


