शिक्षा, साहित्य और समाज सेवा की मिसाल बनीं दुर्गा तिवारी।

मुंगेली ब्यूरो चीफ विशाल यादव की ख़ास रिपोर्ट
शुक्रवार 29 अगस्त 2025 – जन्म से 65% दिव्यांगता के बावजूद शिक्षिका व साहित्यकार दुर्गा तिवारी ने हिम्मत और संकल्प से शिक्षा, साहित्य व समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। 1979 में जन्मी दुर्गा ने 1999 में “गुरुजी” पद से अपने करियर की शुरुआत की। भवन न होने पर छह साल तक घर से ही बच्चों को पढ़ाया और आज वे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोंडखाम्ही में व्याख्याता के रूप में पदस्थ हैं।
कोरोना काल में उन्होंने 1376 ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए 76 हजार से अधिक बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखा। सहेली शाला प्रभारी बनकर उन्होंने बालिका शिक्षा को बढ़ावा दिया और स्काउट गाइड प्रभारी के रूप में भी सक्रिय रहीं।
शिक्षा, साहित्य और समाज सेवा में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग कर्मचारी पुरस्कार सहित अनेक बार कलेक्टर, मुख्यमंत्री, मंत्री और राजभाषा आयोग से सम्मान प्राप्त हुआ। उनके गद्य-पद्य लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।
सहजता, व्यवहार कुशलता और सेवा भाव से परिपूर्ण दुर्गा तिवारी आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं।



