श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस में बाल-कृष्ण लीलाओं का रसपान, पूज्या कृष्णप्रिया दीदी ने दिए संस्कार और भक्ति के संदेश

शनिवार 15 नवम्बर 2025- लोरमी श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस में परमपूज्या संत कृष्णप्रिया जी ने कहा कि जहाँ भागवत कथा होती है, वहाँ स्वयं तीर्थ, देवता और दिव्य शक्ति विराजती है। कथा व्यक्ति की पवित्र मनोकामनाएँ पूर्ण करने वाली कल्पतरु है।
दीदीजी ने बाल-कृष्ण की मनोहर लीलाओं — जन्मोत्सव, पूतना वध, यशोदा मैया की ममता, कालिय नाग मान-मर्दन, माखन चोरी और गो-प्रेम — का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण पूर्णब्रह्म होते हुए भी माता-पिता के चरण स्पर्श करने में संकोच नहीं करते—यही जीवन के संस्कार हैं।
एकादशी व्रत की महिमा बताते हुए कहा कि यह व्रत नारायण को अत्यंत प्रिय है और मोक्ष देने वाला है। सुबह ईश्वर स्मरण से मन गोकुल-सदृश पवित्र होता है और जीवन में सुख-शांति बढ़ती है।
कथा के दौरान दीदीजी ने गौरक्षा का संदेश भी दिया। उन्होंने बताया कि मथुरा स्थित उनकी गौशाला में 300 से अधिक गौवंश की सेवा होती है और एक हजार गायों के लिए विशाल गौशाला निर्माणाधीन है। उन्होंने कहा—“गौसेवा सौभाग्य देती है, पंचगव्य से असाध्य रोग दूर होते हैं, इसलिए सभी को गौसेवा से जुड़ना चाहिए।”
कलियुग की विशेषता बताते हुए कहा कि इस युग में केवल हरि-नाम का सुमिरन ही मोक्ष का मार्ग है—कठिन तप, यज्ञ की आवश्यकता नहीं। कथा में भजन और झांकी के दौरान श्रोता भावविभोर हो उठे।



