श्रीराम सनातन संस्कृति के संस्थापक-हिमान्शु महाराज
लोरमी-मानस ग्राम सारधा के बहत्तरवे वर्ष आयोजित नवधा रामायण के छठवे दिन प्रवचन करते हुए कथावाचक डाक्टर सत्यनारायण तिवारी हिमान्शु महाराज ने भगवान श्रीराम को मर्यादापुरुषोत्तम धर्मधुरन्धर ,कृषि व ऋषि संस्कृति के संवाहक तथा भारतीय सनातन संस्कृति का संस्थापक बतलाया। डाक्टर तिवारी ने कहा कि भगवान श्रीराम सर्वज्ञ और सामर्थ्यवान होते हुए भी माता पिता गुरू ज्येष्ठ श्रेष्ठ और ऋषि मुनियो के परामर्श तथा मार्गदर्शन मे कार्य करके संसार मे जहा मर्यादा की स्थापना की वही रावण कुम्भकर्ण मेघनाथ खरदूषण त्रिसिरा कबंध और बाली जैसे आततायी दुर्दांत राक्षसो का वध कर धर्म की स्थापना की। श्रीराम ने वशिष्ठ विश्वामित्र देवर्षि नारद और अगस्त जैसे अनंत ऋषि मुनियो से शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा प्राप्त करते हुए संसार मे मानवधर्म की स्थापना के साथ साथ प्राणीमात्र के कल्याण लिए जल जंगल जमीन और पर्यावरण संरक्षण का कार्य किया। चरित्रवान होने के कारण आज नौ लाख वर्ष बाद भी श्रीराम की पूजा तथा इसमे कमी के कारण दिग्विजयी रावण के पूतले का आज भी विजयादशमी के दिन दहन किया जाता है।श्रीराम चरित मानस विश्व का अद्वितीय अतुलनीय अनुपमेय सार्वकालिक सार्वभौमिक और समसामयिक ग्रन्थ है।यह विद्वानो के लिए जितना दुष्कर है उतना ही साधारण भक्तो के लिए सुगम है।आचार्य पंडित अनिरुद्ध शुक्ल, डाक्टर महेश शुक्ल, उदेराम साहू,कमलेश्वर साहू और श्रीमती निर्मला देवी ने भी संगीतमय प्रवचन प्रस्तुत किया।उक्त अवसर पर हरीश अग्रवाल ऋषिकुमार चन्द्रसेन गोकुलसिह रामनाथ राजपूत जयपाल सिंह टीकाराम राजपूत मनीराम राठौर कमल सिंह जयकेशरवानी लक्ष्मीनारायण श्रीवास बिष्णु श्रीवास रूपसिंह दयाराम प्रदीप केशरवानी लालबहादुर द्वारिका साहू बराती साहू सहित सैकड़ो श्रद्धालु नर नारी मानस मंच सारधा मे उपस्थित थे।