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ध्वनि सीमक यंत्र लगाना अनिवार्य..,नाइस मीटर से होगी साउंड सिस्टम की जांच.. ध्वनि प्रदूषण के मामले में हाईकोर्ट ने शासन से मांगा शपथ-पत्र..

बिलासपुर हाई कोर्ट

न्यायधानी बिलासपुर 8 फरवरी 2024 :- ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए अब नॉइस मीटर का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके जरिए डीजे और तेज आवाज में बजने वाले उपकरणों की जांच की जाएगी। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार की ओर से कदम उठाया गया है। दरअसल अभी 50 से 60 डेसिबल से ज्यादा की ध्वनि पर रोक है। ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए सभी जिलों के थानों को नॉइस मीटर दिए गए है। इसके जरिए साउंड की पुलिस जांच कर सकेगी और नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। दरअसल नॉइस मीटर का इस्तेमाल ध्वनि की तीव्रता को मापने के लिए किया जाता है। यह डेसिबल इकाई पैमाने से नापता है। विशेषज्ञों के अनुसार कम श्वास से उत्पन्न ध्वनि की माप करीब 20 डेसीबेल (ए) हो सकती है। हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने डीजे और साउंड सिस्टम की तेज आवाज पर एतराज जताते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान शासन से पूछा कि, ध्वनि प्रदूषण रोकने के आदेश के पालन में क्या प्रयास किए गए हैं। वहीं छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति ने भी जनहित याचिका के साथ हस्तक्षेप याचिका दायर की है। याचिका में बताया गया है कि शासन ने 4 नवंबर 2019 को ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए साउंड लिमिटर लगाना अनिवार्य किया था, पर इसका पालन नहीं हो रहा। इसके बाद सुनवाई के दौरान शासन ने अधिसूचना जारी करने की बात कही थी। इस पर हाईकोर्ट ने कहा था कि नियम कागजों तक ही सीमित है। कोर्ट ने शपथ पत्र मांगा है कि अधिसूचना का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है। अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।

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