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द्वारिका दास वैष्णव शिक्षा की मिसाल…

लोरमी 20 सितम्बर 2024…

62 साल के शिक्षक अचानक बच्चों के घर पहुंचकर पढ़ाई लिखाई का जायजा ले रहे हैं।पिछले 7- 8 साल से वर्ष में एक अभियान की तरह शाम रात को घर जाकर बच्चों की पढ़ाई का ले रहे हैं जायजा। सेवा निवृत्ति को मात्र 2 माह शेष फिर भी शिक्षा के लिए जुनून से लगे हुए है प्रधानपाठक डी. डी.वैष्णव।ग्राम कोतरी स्थित शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ द्वारिका दास वैष्णव अपने बच्चों के प्रति सजगता का एक अप्रतिम उदाहरण पेश करते हुए उनके पढ़ाई लिखाई का औचक निरीक्षण करने घर चले जाते हैं।आपको बता दें कि आने वाले दो माह बाद वैष्णव शासकीय सेवा से सेवानिवृत हो जाएंगे लेकिन आज भी एक युवा शिक्षक की भांति उनका अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। पहले भी शिक्षा के प्रति उन्होंने बेहतर कार्य योजना तैयार करते हुए अपने विद्यालय को डिजिटल रूम से लैश किया,आओ बनें इंसान कार्यक्रम चलाया,मध्यान्ह भोजन में दूध पिलवाए,सौंदर्यीकरण करते हुए हरे-भरे मैदान बनाएं, पेड़ पौधे लगवाएं,प्रार्थना स्थल को फर्शीकरण कराया,महापुरुषों के जीवनी पर चित्र एवं लेखन तथा शिक्षण सामग्री से दीवार के सभी कोनो को सजाते हुए अनेक प्रकार के शैक्षणिक गतिविधियां उनके द्वारा संपादित की जाती है।अपने शिक्षकों को भी योग्य प्रशिक्षण और तकनीकी रूप से मजबूत बनाने का काम किए हैं । स्कूल और बच्चों के बीच सेतु का काम करते हुए सामुदायिक सहभागिता के अंतर्गत स्कूल में नलकूप खनन का कार्य भी इन्होंने कराया है।सही मायने में एक जीवटता के साथ स्कूल को व्यवस्थित बनाने में लगे हुए हैं। इनके पढ़ाए हुए बच्चे आगे कक्षाओं में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।कई छात्र ऊंचे शासकीय सेवा में है तो कई निजी व्यवसाय में अच्छे स्थान पर कार्य कर रहे हैं। एक सामान्य से दिखने वाले असाधारण प्रतिभा के धनी शिक्षक द्वारिका दास वैष्णव का शिक्षा के प्रति जज्बा को देखते हुए पूर्व में उन्हें शिक्षा दूत पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।वह बताते हैं कि मेरे बच्चे ही मेरे पुरस्कार हैं। मेरे ग्रामवासियों , पालकों का मेरे प्रति सम्मान से बढ़कर मुझे और कुछ नहीं चाहिए। आगे आने वाले सेवानिवृत्ति के बाद भी वह अनेक स्कूलों को गोद लेकर काम करना चाहते हैं। गत रात्रि अचानक ही अनेक कक्षाओं में पढ़ने वाले कक्षा तीसरी चौथी और पांचवी के बच्चों को पढ़ रहे हैं कि नहीं, घर में उनकी समय सारणी कैसी बितती है ,गृह कार्य संपादित करने में कौन सहयोग करता है, माता-पिता का बच्चों के प्रति किस प्रकार का रवैया है,साथ ही साथ बच्चा जहां पढ़ता है वह स्थान कैसा है ?आदि अनेक बातों को अवलोकन करते हुए उन्होंने गांव के लोगों को पढ़ाई के लिए सतत जागरूक रहने के लिए प्रेरित किया। उनके साथ में गांव के ही शिक्षक राजकुमार कश्यप भी साथ रहे।प्रधान पाठक वैष्णव के इस पहल के बारे में बताते हुए प्रभारी प्रधानपाठक राजकुमार कश्यप ने जानकारी दी कि गांव में प्रातः काल से ही व्यस्त दिनचर्या इनका प्रारंभ हो जाता है ।अनेक गांव के लोगों का सहयोग करना, युवाओं को उचित मार्गदर्शन करना और पढ़ाई लिखाई के प्रति जागरूकता के लिए अनेक काम करते हैं। अपने स्कूल को जिले का आदर्श विद्यालय बनाने का सुंदर कार्य इनके द्वारा संपादित हुआ है जो अनेक शिक्षकों के लिए अनुकरणीय है ।उनके पढ़ाए हुए कई बच्चे आज शिक्षक बनकर अपने-अपने स्कूलों में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। ग्राम कोतरी, ठरकपुर के पालकों ने भी ऐसे शिक्षक का सदा समर्थन किया है।बच्चों में यह कौतूहल का विषय बन गया है कि हमारे गुरु जी कभी भी घर आ सकते हैं इसलिए समय पर पढ़ाई लिखाई पर उनका विशेष ध्यान लगा रहा है आने वाले समय में ग्राम की तस्वीर अवश्य बदलेगा।

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